School Life Shayari | स्कूल लाइफ शायरी

School Life Shayari उन सुनहरे पलो की याद दिलाती है जब दोस्ती, मस्ती और पढ़ाई साथ-साथ होती थी। ये शायरी आपके स्कूल के दिनों की खुशी और खूबसूरती को बयान करती है। पढ़िए और शेयर करें ये खास शायरी। तो चलिए चलते हैं उस यादगार सफर पर।

क्लास में था शोर
दोस्ती आ था जोर,
लंच में थी ज़िंदगी की मस्ती
स्कूल लाइफ ही बेस्ट थी।

बचपन का दौर था
मस्ती करते जाते थे,
क्या दिन थे वो
छोटी- छोटी गलती पे डांट खाते थे।

क्लास की खिड़की के पास बैठना
दोस्तों साथ शरारत करते जाना,
सबके टिफिन से खाना खाना
बहुत याद आता है स्कूल का वो ज़माना।

दोस्ती में थी जान
दिल से दोस्ती निभाते थे,
अगर दोस्त को मार पड़े
कॉपी अपनी छुपा के हम भी मार खाते थे।

ज़िंदगी सब की आगे बढ़ जाती है
बस कुछ यादें दिल में रह जाती है,
ऐसे तो बहुत है बात करने वाले
पर स्कूल की दोस्ती बहुत याद आती है।

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मास्टर डांट लगाते थे
हम सहम जाते थे,
इंटरवल में करते थे मस्ती
रोज़ नई मस्ती करते जाते थे।

लंच बॉक्स में छुप-छुप कर खाना
छत पर जाकर जोर से चिल्लाना,
होमवर्क ना होने पर दोस्त की कापी दिखाना
पुराने यादों को सोच के मुस्कुरा जाना।

बिना वजह हंस लेते थे
दोस्तो के साथ खाते पीते थे,
स्कूल की ज़िंदगी
बेफिक्री से हम जीते थे।

जवानी में आकर
बचपन में जाने का मन करता है,
स्कूल के दोस्तों की कमी
ऑफिस के कोई दोस्त पूरी नहीं करता है।

इंटरवल में बाहर जाना
काला खट्टा खाना,
दोस्तो को खूब चुढाना
हर पल मस्ती के साथ बिताना।

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स्कूल की बेल बजते ही
दौड़ के बाहर जाना,
अपने दोस्तों को का टिफिन खाना
बहुत याद आता है वो ज़माना।

लंच टाइम का इंतजार
दोस्तों के साथ का प्यार,
स्कूल के वो प्यारे दिन
याद आते है बार-बार।

होमवर्क की सज़ा मिलती थी
बंक करने का मज़ा आता था,
स्कूल के दिन बहुत अच्छे थे
बेफिक्री से दिन बीत जाता था।

होमवर्क बिना की जाते थे
नया बहाना बनाते थे,
जब मन नहीं लगता था क्लास में
बंक मार के बाहर भाग जाते थे।

नहीं होता था टाइम पार
लंच का करते थे इंतेज़ार,
दोस्तो का खाना खा जाते थे
इलज़ाम दूसरे दोस्तो पे लगाते थे।

छोटी छोटी बातें
बहुत बड़ी लगती थी,
स्कूल की वो लाइफ
बहुत प्यारी लगती थी।

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पढ़ाई से दोस्ती
मस्ती से यारी थी,
वो बचपन की कहानियां
बहुत प्यारी थी।

छुट्टी होते ही
दौड़ लगाते थे,
दोस्तो के लिए लड़ जाते थे
अनजाने में बहुत सी यादें बनाते थे।

क्लास का शोर था
पीटी में चिल्लाते थे,
खूब करते मस्ती थे
बेफिक्री से जीते जाते थे।

स्कूल का आखिरी दिन
लगा था ज़िंदगी में सब फिर मिलेंगे,
पता नहीं था अब नहीं होंगे साथ
यादो में दोस्तो की हम जीयेंगे।