Dosti Breakup Shayari | दोस्ती ब्रेकअप शायरी
Dosti Breakup Shayari में पढ़ें दोस्ती टूटने और दूरियों का दर्द बयां करती शायरियां। जब कोई खास दोस्त साथ छोड़ दे, तो ये शायरी आपके दिल की बात लफ़्ज़ों में कहती है। यहां मिलेगी ग़म, जुदाई और दोस्ती के टूटने पर बनी शानदार शायरी। शेयर करें अपने जज़्बात और दर्द को शायरी के ज़रिए।
बस एक जाम बाकी है
दोस्ती का इनाम बाकी है,
गैर तो बना दिया है मुझे
बस झूठे इलज़ाम बाकी है।
दोस्त कहा था
तो दोस्ती निभाते,
सबके सामने नजरअंदाज करके
मुझे गैर ना बनाते।
दोस्ती निभाया दिल से
फिर भी झूठे इलज़ाम रह गए,
लाख समझाया गलतफहमी थी
फिर भी दोस्ती में बदनाम हो गए।
दोस्ती में की तूने बेवफाई
मुझे धोखा दे कर क्या पाया,
ज़माने ने कहा तुझे ही बुरा
जब तूने मुझे दोस्ती में बेवफा बनाया।
दोस्ती में धोखा मिला
बहुत ज़ख़्म खाया है,
जिस को समझा अपना
उसी के हाथों दिल तुड़वाया है।
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समझा तुझे अपना दोस्त
दिल से रिश्ता निभाया है,
बेवफा निकला तू दोस्त
तुझसे ही दिल के टुकड़े करवाया है।
जुदा हो गए है
सब रिश्ते पराए है,
कोई नहीं रहता उम्र भर साथ
दोस्ती में बहुत धोखे खाए है।
हद हो जाती है दूर जाने की
कैसे कोई इतना बुरा बन जाता है,
दोस्त, दोस्ती तोड़ देता है अपनी
कैसे बेवफाओं में छोड़ जाता है।
तेरे बिना दिल नहीं लगता
दोस्ती तुझे आखिर तक निभाना था,
बीच राह में अकेला करके
दिल तोड़ के नहीं जाना था।
जिस दोस्त को अपना समझा
उसी ने गैर मुझे बनाया है,
जिसका दिया पल-पल साथ
उसी ने बेवफा मुझे बताया है।
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दोस्ती कितनी ही अच्छी हो
पुरानी भी टूट जाती है,
कितना भी समझो अपना
झूठी दोस्ती बेवफाई दिखाती है।
निकला तू बेवफा दोस्त
क्या तुझे मैं नाम दूं,
दोस्ती होती नहीं बुरी
दोस्ती को क्यों मैं इलज़ाम दूं।
जिन पर है भरोसा
वो भी पराया हो जाएगा,
छोड़ जाएगा दोस्त तुम्हारा
तुम्हे बेवफा बताएगा।
दोस्ती तुम्हारी खराब नहीं थी
लोगों ने तुमको भड़काया था,
लोगों से सुना मैने अपनी बुराई
कैसे तुमने मुझे बेवफा बताया था।
रिश्ते अजीब होते है
अपनी धोखा दे जाते है,
जब नहीं रहती दोस्ती
लोग बेवफा बताते है।
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दोस्ती नाम की थी
तेरी हर बात में रुसवाई थी,
हर रिश्ता था मेरा तुझसे सजा
पर तेरी हर बात में बेवफाई थी।
दोस्त तो एक दूसरे की जान होते है
दोस्ती में धोखेबाजी नहीं दिखाई जाती,
दोस्ती में अगर हो जाती बुराई
तब भी दोस्ती है निभाई जाती है।
साथ तेरे हर पल जीते जाते थे
तुझे अपना कह के बुलाते थे,
पता था तू है बेवफा
फिर भी तेरा साथ निभाते थे।
दोस्ती तो नाम की थी
झूठे वादे तुम करते जाते थे,
मुझे नहीं माना कभी तुमने दोस्त
मेरे पीछे मुझे गैरो में गिनवाते थे।
लगा था दोस्ती निभाते जाओगे
साथ में हर कदम बढ़ाओ,
पता नहीं था दोस्ती टूटने के बाद
मुझे महफिल में बेवफा बताओगे।
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