Emotional Shayari On Life | इमोशनल शायरी ऑन लाइफ
Emotional Shayari On Life आपके दिल के गहरे जज़्बातों को बयां करती है। ये शायरी ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव, दर्द और उम्मीद को खूबसूरती से पेश करती है। पढ़िए और महसूस करें ये दिल को छू जाने वाली शायरी। तो चलिए चलते हैं इस एहसास भरे सफर पर।
जो कभी कहते थे अपना
आज वो ज़िंदगी में मेहमान हो गए,
कभी हँसते थे जिनके साथ
आज वो अनजान हो गए।
टूटते ख्वाबों को
ज़िंदगी भर संभालते रहे,
मिलते रहे दर्द ज़िंदगी भर
खुद को दर्द में ढालते रहे।
ज़िंदगी अब तन्हा लगती है
अब खुशी रास नहीं आती है,
मुस्कुराने से लगता है डर
हर मुस्कुराहट नया दर्द दे जाती है।
एक भटका मुसाफिर हूं
ज़िंदगी में चलता जाता हूं,
जो बैठ जाए साथ सुकून से
उसे अपना दर्द सुनता हूं।
लफ़्ज़ों की भी हद होती है
लोग कहने से पहले नहीं डरते,
कुछ जख़्म ऐसे होते हैं
जो ज़िंदगी भर नहीं भरते।
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तन्हाई में डूबे हम ज़िंदगी में
खुद को भी नहीं सोच पाते है,
जो कल कहते थे भाई हमे
आज देखकर नज़रे चुराते है।
दिल की बातें कह नहीं पाते है
आंखों से हाल बता जाते है,
ज़िंदगी ने ऐसा मोड़ दिया है
जहां अपने भी दर्द दे जाते है।
जब अपना ना हो पास
तो साथ भी भरम लगता है,
जब छोड़ दे साथ ज़िंदगी में
तो जीने से भी डर लगता है।
वक़्त के साथ सब बदल जाते हैं
अपने भी पहचान छुपाते है,
जो कभी बोलते थे अपना
वो मिलने से भी कतराते है।
चेहरे पे मुस्कान रखी है
ज़िंदगी को अपना बताया है,
जो भी मिला इस सफर में
उसे गले लगा के अपनाया है।
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सबको नहीं आता है,
जो दर्द समझे अपनो का
वही जिंदगी भर साथ दे पाता है।
ख्वाब तो अधूरे रह जाते है
ज़िंदगी कहा पूरे होने देती है,
एक पल खुशी एक पल ग़म
ज़िंदगी कहा खुल के जीने देती है।
किसी को खोने का दर्द
अकेले सहना पड़ता है,
कितनी भी यादें दे ज़िंदगी
कुछ लोगों के बिना ही रहना पड़ता है।
ज़िंदगी का दर्द
कोई पहचान नहीं पाता है,
जब लगे कि जीत गए ज़िंदगी भी
तभी कोई नया मोड़ आता है।
भीड़ में तन्हा हूं
ज़िंदगी तन्हा बिताता हूं,
मैं हमसफर हूं रास्तों का
बिन मंजिल चलता जाता हूं।
एक पल खरीद हूं
अगर मेरी ज़िंदगी सवर जाए,
तोड़ के दिल मेरा दर्द देखे तू
मेरा टूटा दिल कहां कहां फिराए।
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अंजान रास्तों से
मैं गुजरता जाता हूं,
किसी से नहीं कोई उम्मीद
कुछ अपने रस्ते बनाता हूं।
लौट आई वो फिर
जिसे ज़िंदगी कहकर पुकारा था,
ज़िंदगी में कुछ खास मिला ही क्या
जिसे गैरो के भरोसे गुज़ारा था।
बीते हुए पल याद आते है
कैसे लम्हे गुज़र जाते है,
ज़िंदगी सवार देती है कुछ पल
कुछ लंबे ज़िंदगी भर दर्द दे जाते है।
कुछ बातें अधूरी रह जाती है
इन से वफ़ा की उम्मीद नहीं होती,
यादें रह जाती है बस इनमें
रिश्तों के धागों की डोर ही कच्ची होती।