Life Depression Sad Shayari | दर्द और तन्हाई की शायरी
Life Depression Sad Shayari उन लम्हों को बयां करती है जब दिल टूटता है और ज़िंदगी बोझ सी लगती है। ये शायरी आपके जज़्बात को अल्फाज़ देती है, जिससे आप खुद को थोड़ा हल्का महसूस कर सकें। पढ़ें और शेयर करें ये दिल से निकली शायरी। तो चलिए चलते हैं इस एहसास भरे सफर पर।
मुझे लगा था तू अपना है
मेरा साथ पूरी ज़िंदगी निभाएगा,
छोड़ देता तुझे जाने कब का
अगर पता होता इतने दर्द दे जायेगा।
खुशियां कब की छूट गई
ज़िंदगी मुझसे रूठ गई,
दिखने को जिंदा हूं मैं
मेरी सासों की डोर कब की टूट गई।
चाहतें मिट गईं सारी
रह गई यादें पुरानी,
यही है अपनी दुखी
ज़िंदगी की पूरी कहानी।
दिल किसी से नहीं लगता है
हर पल घुटन सी है,
साथ है अपने अकेलापन
ज़िंदगी बस एक चुभन सी है।
रिश्ते भी अब पराए लगे
हर ख्वाब अधूरे हो गए है,
क्या शिकायत करे ज़िंदगी से
हम ज़िंदगी के दर्द में खो गए है।
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सब से अब दूरी है
सांस लेना क्यों ज़रूरी है,
ज़िंदगी का साथ नहीं चाहिए अब
ज़िंदा रहना भी मजबूरी है।
कोई अपना नहीं लगता
हर रिश्ता मतलबी होता है,
छोड़ जाता है जब कोई किसी को
फिर एक शख़्स ज़िंदगी भर रोता है।
दिल में आंसू आते है
साथ तेरा याद दिलाते है,
तू ना मिलता कभी तो अच्छा था
ये आंसू ज़िन्दगी भर का बोझ बन जाते है।
नाम लिया करते थे जो मेरा
अब भुला दिया है,
छोड़ गया साथ मेरा
ज़िंदगी ने बहुत दर्द दिया है।
लब नहीं मुस्कुराते है
साँसें लेना मजबूरी लगता है,
ज़िंदगी जीने का मन नहीं करता
पर अपनों के लिए जीना ज़रूरी लगता है
ज़िंदगी ने बहुत रुलाया
हर मोड पे पराया बताया है,
जिस पल मिली खुशी
उस पल एक नया ग़म दिखाया है।
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आस भी अब बची नहीं,
ज़िंदगी में कोई खुशी नहीं,
जी रहे है बची हुई ज़िंदगी
वैसे ज़िंदगी कुछ खास बची नहीं।
आँखों में आंसू मेरे बहते गए
तुमको ज़िंदगी के ग़म बताते गए,
जब वो गए तो कुछ बोल ना सकते हम
पर रोज़ बिन पानी के पेड़ सा मुरझाते रहे।
कौन किसका है यहाँ,
सब मतलब की बात बताते है,
ज़िंदगी में जब मतलब पूरा होता है
लोग तब अपना असली चेहरा दिखाते है।
ज़िंदगी में जब सपने सजाए
तो तकलीफें भी साथ आती है,
पूरे होते है सपने सबके
पर पहले मुश्किल सबक सिखाती है।
जीने की कोई वजह नहीं रही
ज़िंदगी ने दिए इतने दर्द,
अब इन दर्द को सहते जाना है
बचा नहीं कोई मर्ज़।
हर सुबह ग़म लाती है,
ज़िंदगी सबको आजमाती है,
जो हंसता है एक बार
उसको सौ बार रुलाती है।
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सुकून का सपना था
दर्द बहुत पाया है,
एक ही ज़िंदगी थी
जिसने बहुत रुलाया है।
किससे शिकवा करूं अब
अपने हिस्से का दर्द निभा रहा हु,
मिला जो दर्द है ज़िंदगी से
ज़िन्दगी भर जीते जा रहा हूं।
दिल भी अब पत्थर है
किसको दिल का दर्द बताऊं,
टूटी सी ज़िंदगी है
अपने दिन बस गिनते जाऊं।