Sad Shayari on Life | दर्द भरी ज़िंदगी शायरी
Sad Shayari on Life वो शायरी है जो ज़िंदगी के दर्द और तन्हाई को बयां करती है। ये शायरी दिल को छू जाती है और आपकी फीलिंग्स को खूबसूरती से पेश करती है। पढ़ें और महसूस करें ये खास शायरी। तो चलिए चलते हैं इस एहसास के सफर पर।
हर कदम पे धोखा मिला
हर रिश्ता दुखों का बहाना था,
जानते थे मुंह मोड लेगी ज़िंदगी
फिर भी हस्ते हुए जीते जाना था।
ग़मों की आदत सी है
खुशियों कही खो गई है,
अब नहीं है मुस्कुराहट ज़िंदगी में
हर हम खुशियां डुबो गई है।
बेजान सा मैं बस जी रहा
ज़िंदगी दर्द में बुझ गई है,
साँसें तो चलती हैं
पर ज़िंदगी जैसे रुक गई है।
अपने कहकर जो छोड़ गए
उनका साथ अब नहीं पाना है,
जो छोड़ गया ज़िंदगी में
उसको क्या अपना दर्द बताना है।
ज़रा रुक ज़िंदगी
मेरे सब्र का इम्तेहान लेती जा,
अपने दुख ,दर्द, आसूं
इस सब का हिसाब तो देती जा।
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मुस्कुराना कब का छूट गया
अब दर्द अपना फसाना है,
कभी बैठो फ़ुर्सत से मेरे पास
ज़िंदगी के दिए सितम बताना है।
हर मोड़ पे तन्हा कर दिया
ज़िंदगी क्यों तूने इतने दर्द दिया,
जब लगा मोहब्बत हो गई तुझसे
तूने मुझे बेवफा साबित कर दिया।
वो भी पराए हो गए
जो हमको अपना बताते थे,
उन लोगों ने भी दिए बहुत दर्द
जो कभी साथ सुख – दुख जताते थे।
उम्मीद अब बाकी नहीं
ज़िंदगी बहुत इम्तेहान लेती है,
जब लगता है खुशी है पास कोई
तभी आंख आंसू से डुबो देती है।
ग़म से दिल सजा रखा है,
छोड़ गया तू फिर भी अपना बता रखा है,
कितना भी दर्द दे तू ज़िंदगी
मौत को पास बुला रखा है।
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खामोश रहता हूं
दर्द सबकी ज़िंदगी में आता है,
कोई मिले दुखी तो दो कंधा अपना
कई बार कंधा दूसरों का दुख हल्का कर जाता है।
भीड़ में भी तन्हाई है
अब कोई नहीं भाता है,
जो लगने लगता है अपना
वो ही ज़िंदगी में दुख लाता है।
दिल का बोझ हल्का नहीं होता
कोई बात किसी से नहीं कहता है,
इतने ग़म के बाद चुप है ज़िंदगी
अब दिल खामोश ही रहता है।
रिश्तों ने भरोसा तोड़ दिया
हर अपने ने दर्द दिया,
मै इलज़ाम किस पर लगाता
मुझे ज़िंदगी ने बहुत मर्ज़ दिया है।
मुस्कुरा लेता हूं पर
अंदर से मुरझा गया हूं,
आजमाते आजमाते थक गया हूँ
मैं ज़िंदगी से उकता गया हूं।
दिल की हालत जख्मी है
आंखों में मेरे नमी है,
कट रही है ऐसे ज़िंदगी
जैसे कोई सज़ा की कमी है।
Related Shayari :
साँसें चल रही हैं
अब दिल आवारा नहीं है,
गुज़र रही है ज़िंदगी दर्द में
अब किसी का सहारा नहीं है।
कई बार दूर कर जाती है,
ज़िंदगी बहुत बेदर्द है,
एक पल में हंसाती है
दूसरे पल उदासी भर जाती है।
ग़म का साया मुझे मार देगा
ज़िन्दगी से तू कितने वार लेगा,
लड़ नहीं पाएगा हमेशा के लिए
थक के अपने ही प्राण देगा।
ज़िंदगी अब डराती है
मुझे तन्हा कर जाती है,
मालूम है उसे कितना दर्द है मुझमें
फिर भी खुद को मासूम बताती है।
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हर रिश्ता दुखों का बहाना था,
जानते थे मुंह मोड लेगी ज़िंदगी
फिर भी हस्ते हुए जीते जाना था।
ग़मों की आदत सी है
खुशियों कही खो गई है,
अब नहीं है मुस्कुराहट ज़िंदगी में
हर ग़म खुशियां डुबो गई है।
बेजान सा मैं जी रहा
ज़िंदगी दर्द में बुझ गई है,
साँसें तो चलती हैं
पर ज़िंदगी जैसे रुक गई है।
अपना कहकर तुम छोड़ गए
तुम्हारा साथ अब नहीं पाना है,
चले गए दूर मुझसे
तो क्यों अपना दर्द बताना है।
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ज़रा रुक ज़िंदगी
मेरे सब्र का इम्तेहान लेती जा,
अपने दुख ,दर्द, आसूं
इस सब का हिसाब तो देती जा।
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अब दर्द अपना फसाना है,
कभी बैठो फ़ुर्सत से मेरे पास
ज़िंदगी के दिए सितम बताना है।
हर मोड़ पे तन्हा कर दिया
ज़िंदगी क्यों तूने इतने दर्द दिया,
जब लगा मोहब्बत हो गई तुझसे
तूने मुझे बेवफा साबित कर दिया।
वो भी पराए हो गए
जो हमको अपना बताते थे,
उन लोगों ने भी दिए बहुत दर्द
जो कभी साथ सुख – दुख जताते थे।
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उम्मीद अब बाकी नहीं
ज़िंदगी बहुत इम्तेहान लेती है,
जब लगता है खुशी है पास कोई
तभी आंख आंसुओं से डुबो देती है।
ग़म से दिल सजा रखा है,
छोड़ गया तू फिर भी अपना बता रखा है,
कितना भी दर्द दे तू ज़िंदगी
मौत को पास बुला रखा है।
खामोश रहता हूं
दर्द सबकी ज़िंदगी में आता है,
कोई मिले दुखी तो दो कंधा अपना
कांधे पे रखा सिर दुख हल्का कर जाता है।
भीड़ में भी तन्हाई है
अब कोई नहीं भाता है,
जो लगने लगता है अपना
वो ही ज़िंदगी में दुख लाता है।
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कोई बात किसी से नहीं कहता है,
इतने ग़म के बाद चुप है ज़िंदगी
अब दिल खामोश ही रहता है।
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हर अपने ने दर्द दिया,
मै इलज़ाम किस पर लगाता
मुझे ज़िंदगी ने बहुत मर्ज़ दिया।
मुस्कुरा लेता हूं पर
अंदर से मुरझा गया हूं,
आजमाते-आजमाते थक गया हूँ
मैं ज़िंदगी से उकता गया हूं।
दिल की हालत ज़ख्मी है
आंखों में मेरे नमी है,
कट रही है ऐसे ज़िंदगी
जैसे कोई सज़ा की कमी है।
साँसें चल रही हैं
अब दिल आवारा नहीं है,
गुज़र रही है ज़िंदगी दर्द में
अब किसी का सहारा नहीं है।
कई बार दूर कर जाती है,
ज़िंदगी बहुत बेदर्द है,
एक पल में हंसाती है
दूसरे पल उदासी भर जाती है।
ग़म का साया मुझे मार देगा
ज़िन्दगी से तू कितने वार लेगा,
लड़ नहीं पाएगा हमेशा के लिए
थक के अपने ही प्राण देगा।
ज़िंदगी अब डराती है
मुझे तन्हा कर जाती है,
मालूम है उसे कितना दर्द है मुझमें
फिर भी खुद को मासूम बताती है।
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