Yaad Shayari in Hindi | याद शायरी
यादें वो धागा हैं जो दिल के कोने से बंधा रहता है, चाहे वक्त कितना भी गुजर जाए। Yaad Shayari के जरिये इन एहसासों को लफ्ज़ों में पिरोते हैं, जो दिल की गहराइयों को छू लेते हैं। आइए, इन शायरी के सफर में खो जाएं और यादों की मिठास को महसूस करें।
Papa Ke Yaad Ki Shayari

जिसने उंगली पकड़ के चलना सिखाया
जिसने ज़िम्मदारी के बोझ से बचाया,
आज उसके ना होने पे समाज ने ये अहसास कराया
पापा ने हमको बचा के खुद की पीठ पे कितने तीर खाया।

कभी डांटना कभी- कभी मार देना
फिर मार के हंसाना,चीज दिलाने जाना
फिर एक दिन, अपनी यादों को दे जाना
अकेले क्यों छोड़ गए, बहुत सताता है ये ज़माना।

वो जब तुम दूर जा रहे थे मुझसे
तो हर पल का अहसास छूट गया,
उस दिन सिर्फ तुम ही दूर नही गए पापा
मेरे जीने का जिंदगी में विश्वास छूट गया।

इस दुनिया में कोई अपना नहीं
सब दिखावा होता है,
पिता जैसा कोई नहीं होता
पिता ही परिवार का सहारा होता है।

जरा सा मौका तो देते सेवा का
हमे भी तुम्हारा कर्ज चुकाना था,
जब बारी आई हमारे सेवा करने की
तब ही ऊपरवाले को अपने पास बुलाना था।
Realated Shayari : Zindagi Shayari 2 Line
Sad Yaad Shayari

एक किताब थी जो अधूरी रह गई
वो मेरे पास थी फिर भी दूरी रह गई,
मैं उदास सा शायर हूं अपना शहर का
उसकी यादें मेरे जिंदगी में बहुत सी कविता कह गई।

थोड़ा उदास हूं अभी ठीक हो जाऊंगा
उसकी याद से मैं, जब उभर जाऊंगा,
लिखता रहूंगा कुछ न कुछ उसकी यादों में
या तो उसे पा लूंगा या उसकी यादों में मार जाऊंगा।

यादों की एक दुनिया होती है
जिसमें खो जाने के बाद बाहर आना मुश्किल है,
लोग कहते है भूल जाओ उसको
भूल जाए जो मोहब्बत कर के, वो भी कोई दिल है।

वो मेरे पास आता गया
अपनी झूठी मोहब्बत के ख्वाब दिखाता गया,
मैं डूबती रही उसकी मोहब्बत में
वो मुझसे बेवफाई करके दूर जाता गया।

दिल को उसकी याद में उदास रहना चाहिए
उसकी मर्जी है जाए, पर यादों को पास रहना चाहिए,
कोई नही मिलता किसी के चाहने से
ज़िंदगी में बिंदास रहना चाहिए।
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दोस्ती बहुत काम आती है
दोस्त दूर हो तो याद बहुत सताती है,
दोस्ती हर दराद मिटाती है
दोस्त की याद बहुत तड़पाती है।

साथ में खेलना पतंग उड़ाना
पूरे दिन हर पल साथ बिताना,
फिर तुझे दूसरे शहर में नए दोस्त मिल जाना
मुझे अपनी दोस्ती की यादों में तन्हा छोड़ जाना।

तेरी दोस्ती बहुत काम आई
तेरी दोस्ती ने बहुत चीजे सिखाई,
कैसे दोस्त चले जाते है दूर
और दे जाते है बस यादों की तन्हाई।

तुम्हारी यादें खाए जा जा रही है
दोस्ती का मतलब निभाए जा रही है,
बहुत दिन से दूर है तू मेरे दोस्त, पास आ के गले लग
तेरी याद तुझसे मिलने को तड़पाए जा रही है।

मेरे दोस्त मेरी यादें संभाल के रखना
जहां जाए तू मेरा ख्याल रखना,
तेरे मेरे दोस्ती की हो मिसाल हर जगह
ऐसा तू दोस्ती में कमाल रखना।
Love Me Yaad Shayari

हम तो बिखर गए उसकी याद में
उसको हमारे प्यार का जरा अहसास न हुआ,
उसने समेटा भी हमे तो सूखे पत्ते समझ कर
उसकी याद में बचा भी सिर्फ था धुआं धुआं।

उसकी यादें सताने लगी
वो दूर होकर भी पास आने लगी,
वो चाहती मुझे अब भी है
उसकी धड़कन मुझे ये बताने लगी।

वो मेरे ख्वाबों में आती बहुत है
अपनी यादों में तड़पाती बहुत है,
वह मुझसे दूर होकर भी
अपनी यादों का अहसास कराती बहुत है।

उसका प्यार मूझ में समा रहा है
वो मेरे और पास आ रहा है,
वो मुझे मिल नही सकता पता है मुझे
इसलिए अपनी यादों मे तड़पा रहा है।

वो मेरे करीब आ रहा है
अपनी बातें ख़्वाब में बता के जा रहा है,
मुझसे प्यार अब भी करता है वो
वो मेरी यादों में बार बार आ रहा है।
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Ghar Ki Yaad Shayari

दूर सफर कर रहा हूं
हर रात नींद झटके में खुल जाती है,
वापस नहीं जाने देती जिम्मेदारीया
वरना घर की बहुत याद आती है।

मां के हाथ का खाना
दो रोटी मांगने पर तीन आ जाना,
पापा की मार खाकर सो जाना
बहुत याद आता है अपना घर पुराना।

घर तो लोगो से होता है
लोग ही घर को घर बनाते है,
अपने होने से यादों को सजाते है
तभी तो दूर जाने पे घर वाले बहुत आते है।

बहुत याद आती है
दिल की सारी खुशियां सजती है,
जिम्मेदारी लौटने नहीं देती घर
वरना घर में ही सारी खुशियां बस्ती है।

बैग लेकर दूसरे शहर जाना पड़ता है
बाहर का खाना खाना पड़ता है,
अपना घर छोड़कर दूर आना पड़ता है
अपनी खुशियां छोड़कर जिम्मेदारी निभाना पड़ता है।
Maa Ki Yaad Me Shayari

तुम्हारे हाथों से रोटी खाना
तुम्ही को अपने नखरे दिखाना,
बहुत याद आता है मां,
तुम्हारा प्यार से मेरा सिर सहलाना।

खुद आधी रोटी खा के सो जाती थी
पर पूरे घर को पेट भर खिलाती थी,
कटी पतंग सी चली गई दूर जाने कहा
लौट आओ मां तुम्हारी बहुत याद आती है।

घर से दूर हो तो यादें धुंधली हो जाती है
एक समय के बाद घर की याद सताती है,
वो घर को घर बनाने वाली मां
मां के हाथों की रोटी बहुत याद आती है।

नाराज़ हो, कुछ तो बोलो
जो हो गई गलती नहीं दोहराऊंगा,
एक बार वापस लौट आओ मां
तुम्हारी यादों के सहारे अब और न जी पाऊंगा।

बहुत दूर आ गया हूं, यहां सब अंजान है
सब यहां मतलबी और बेइमान है,
बहुत याद आती है, इस शहर में मां की
मां के बिना तो सारा जग ही सुनसान है।
Koi Yaad Nahi Karta Shayari

मेरी तो कोई बात नहीं करता
मुझसे कोई मुलाकात नहीं करता,
कोई बात नहीं कोई याद न करे मुझे
मैं भी अब किसी से बात नहीं करता।

जब सब था तब सब हमे अपना बताते थे
अब कोई नहीं तो दूरी हमसे जताते है,
अब कोई याद नहीं करता हमे
अब सब हमे अपना दूरी रिश्तेदार बताते है।

किसी के याद करने से फर्क नहीं पड़ता
हम भी अब खुद में दीवाने है,
लोग भी मतलबी थे, बोले हमसे तब तक
जब तक हम उनके काम आने थे।

मुझसे कोई फरियाद नहीं करता
मेरे ऊपर अब कोई मरता,
किसी को मेरे जीने- मरने से फर्क नहीं पड़ता
कोई मुझे अब याद नहीं करता।

जब अपने दूर जाते है
तब अपने ही गैर बन जाते है,
जब कोई किसी को याद नहीं करता है
महफिल में पहचान के भी मुलाकात नहीं करता है।
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जिंदगी में हमेशा कोई ख्वाब रखना
जब भी पड़े मुश्किल ऊपरवाले का साथ रखना,
कभी साथ चाहिए तो बताना, हर दम साथ है
बस जब हाथ उठे, तो प्रार्थनाओं में याद रखना।

हर वक्त ऊपर वाले से आस रखना
जलता हुआ उम्मीद का चिराग रखना,
जब भी हो मायूसी जिंदगी में
दुआ मांगना और दुआओं में याद रखना।

हर दुआ कुबूल नहीं होती
सब मर्ज़ के दर्द की दवा नहीं होती,
कोई भी दूर हो जाए तो मांगो दुआएं
सुना है दुआएं बेअसर नहीं होती।

एक दिन तेरा पाप करके दिल भर जाएगा
फिर तुझे ऊपरवाला याद आएगा,
मांग लेना झोली फैला के सब कुछ
जो प्रार्थना में मांगेगा सब तेरे हिस्से में आएगा।

हो सके तो मेरी उम्र का लिहाज़ रखना
मेरी हर गलती को माफ करना,
इतना बड़ा नहीं कि मांग सकू कुछ तुमसे
जब भी दुआ मांगना तो दुआओं में याद रखना।
Bachpan Ki Yaad Shayari

बचपन के वो कागज़ की नाव, बारिश के बहाने थे
छोटी-छोटी खुशियों में, बड़े-बड़े ख़ज़ाने थे,
ना थी कोई चिंता, ना था कोई सवाल था
बचपन की यादों का बड़ा खूबसूरत हाल था।

बचपन में सपनों की उड़ान थी
दिनभर मस्ती, न कोई थकान थी,
गुज़रे हुए दिन, जैसे एक ख्वाब था
बचपन की कहानियां कितनी नादान थी।

गुड़िया के घरौंदे, और माटी के खेल
हर दिन नए दोस्तों से मेल,
कभी पतंग की डोर, कभी गिल्ली-डंडा,
बचपन की वो यादें, आज भी है दिल में जिंदा।

मां के हाथों का खाना, दादी की कहानियां
हर पल में बसी खुशियों की निशानियां,
कभी बारिश में भीगना, कभी पापा के डांट की सज़ा
बचपन के सुहाने दिन, अब उसने जैसा कहा मज़ा।

स्कूल की घंटी, और छुट्टी की बात
ना कल की फिक्र, ना कल से घबराना,
बस उसी दिन में खुल के जी के दिखाना
बहुत याद आता है, वो बचपन का ज़माना।